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Friday, October 19, 2018

संघर्ष a poem by Krishna Gopal Prajapati

                              संघर्ष

प्रतिदिन-प्रतिपल संघर्ष से सुसज्जित ।
मनमोहक जीवंत यह , रुकना है वर्जित ।।
लक्ष्य के मार्ग में , बाधाए भिन्न है ।
है हौसला मन में , तो बाधाए भी छिन्न है।।
लक्ष्य को करना है, यदि तुम्हे है अर्जित ।
संघर्ष से ही होता है, मानुष उत्सर्जित ।।
लक्ष्य की प्राप्ति में , संघर्ष अंग अभिन्न है ।
जिसने जाना संघर्ष को , वही तो सम्पन्न है ।। 

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