Krilok
ads
Tuesday, November 19, 2024
जय श्री राम-हनुमान !.......
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
तेरे दिल का क्या पैगाम हैं....
उड़ रहा था मैं....
उन किरणों को समेटे,जीवन से जो मिली थी , ऊंचाइयों को पाने उड़ रहा था मैं , उन सपनों के पीछे, बचपन से थे जो सींचे , कोई खींच रहा या खुद ही...
जय श्री राम-हनुमान !.......
मंजिल
है दुर खड़ा , है सुदूर खड़ा । मंजिल के सपने देखु मैं । आखो में जज्बा लिए हुए । मंजिल को करीब देखु मैं ।। है पार करू मैं पहाड़ बड़ा । ...
No comments:
Post a Comment