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Monday, December 24, 2018

सवेरा- मेरी चमकदार छाया ।


हर रोज निकलता घर से मैं ,
एक नए सवेरे कि तलाश में ।

सवेरा, परिश्रम के केसरी रंग से रंगा ,
लक्ष्य की सुगंधित महक से सजा ।
मानो कह रहा, खुला आकाश हैं ,
उड़ जा जहा है तेरी चाह ।।

सवेरा, सुर्य सा तेज लिए ,
किरणों पर असवार होकर चले ।
मानो कह रहा, वायु की तरह ,
रुकना नही, चलना ही हैं,चलते रहे ।

सवेरा, उर्जा का करे संचार जो
त्याग सभी पराजय के तमस को,
मानो कह रहा किरणो सा स्पर्श हैं ।
संघर्ष संग लक्ष्य प्राप्त होने का।।

सवेरा, जो मेरी ही चमकदार छाया हैं ,
सफलता पर जो उभर कर आएगा ।
मानो कह रहा, खुद से ही मैं ,
प्राप्त कर लुंगा मैं सवेरे को ।।





Saturday, November 24, 2018

“मतदान ”


  -कृष्ण गोपाल प्रजापति

उठो जागो मतदान करो,
है यही समय की पुकार ।
पाँच वर्ष में आता है ,
एेसा मौका एक बार ।।
पोलिंग बूथ पर जाना आपको ,
E.V.M का बटन दबाना है ।
लोकतंत्र का पर्व है यह,
इस पर्व को सफल बनाना है ।।

लोकतंत्र ने दिया आपको ,
निर्णय लेने का उपहार ।
परिचय जागरुक नागरिक का है,
मतदान है अधिकार ।।
यह , वह है जहाँ चाह ,
किसी के बहकावे में न आना है ।
मत है आपका बहुत कीमती ,
स्वयं का निर्णय अपनाना है।

करो जागरूक लोगो को ,
मतदान करें इस बार ।
जागरुक मतदाता का देना है ,
परिचय अबकी बार ।।
देना है योगदान आपको ,
उन्नत राष्ट्र बनाना है ।
शत प्रतिशत करना मतदान है ,
लोकतंत्र को मजबूत बनाना है ।।

उठो जागो मतदान करो,
है यही समय की पुकार ।
पाँच वर्ष में आता है ,
एेसा मौका एक बार ।।

Wednesday, October 31, 2018

जीवन में कुछ करना हमको




जीवन में कुछ करना हमको ,
आगे-आगे बढ़ना हमको ।।
लक्ष्य पर बांधे है निगाहे ,
निरंतर आगे चलना हमको ।
मुश्किलो के पहाड़ तो आएगे पर,
कठिन चढ़ाई चढ़ना हमको ।

जीवन में कुछ करना हमको ,
आगे-आगे बढ़ना हमको ।।

धरती चल रही , तारे चल रहे ,
चांद रात भर चल रहा है,
प्रातः काल नभ में किरणो संग,
सुर्य भी रोज निकल रहा हैं ।।
त्याग निस्तबद्धता, चलना हमको,जीतना हमको ।
निरंतर कल-कल बहना हमको ,
नदी भी यही सिखाए हमको ।।

जीवन में कुछ करना हमको ,
आगे-आगे बढ़ना हमको ।।


Wednesday, October 24, 2018

नया समय, सवेरा नया



प्रात: काल नभ से , बहती किरणो की धाराए ।
लुप्त हुआ तमस है , पुष्प,पौधे,तरू हर्षाए ।।
पक्षी को मिला संसार नया,
उड़ने को,चहचहाने को ।
जन्तु को मिला लक्ष्य नया ,
अपनी किस्मत आजमाने को ।।
किसी को जगाए ,समय की पहचान कराए ।
नया समय,नई शुरुआत का अहसास दिलाए ।।
जिसने तुम्हे कमजोर बनाया,
भुल बीती उन बातो को ।
नया समय,सवेरा नया नई उमंग है लाया,
नए मार्ग पर बढते जा,पाने अपने लक्ष्य को।।




Friday, October 19, 2018

विजयदशमी

                    विजयदशमी-एक सीख

रावण का करना वध, सत्य की विजय को मानना ।
बड़ो का कर आदर , राम को अपने अंदर खोजना ।
प्रेरणा पुरूषोत्तम से लेकर, अच्छे कर्मो की ठानना ।।
ईर्ष्या,द्वेष,भ्रष्टाचार, दुसरो का बुरा करना ।
आत्मचिंतन कर, इन बुराईयाे को अपने से निकालना ।।
राम-लक्ष्मण की तरह , भाईयो में स्नेह रखना ।
हनुमान की तरह , वक्त आने पर कुछ भी कर गुजरना ।।
विभिषण की तरह , सत्य को पहचानना ।
वानरो की तरह , सत्य का साथ देना ।।
विपरीत परिस्थतियो में अपने आप को संभालना ।
जीवन में अनेक बाधाओ का कर सामना ।
सत्य के साथ आगे बड़ते जाना ।
असत्य पर सत्य की पताखा फैराना ।।
राम के आदर्शो को हमें है अपनाना ।
सदैव सत्य के मार्ग पर चलते जाना ।
विजयादशमी का त्यौहार यही चाहता है सीखाना ।।


               

संघर्ष a poem by Krishna Gopal Prajapati

                              संघर्ष

प्रतिदिन-प्रतिपल संघर्ष से सुसज्जित ।
मनमोहक जीवंत यह , रुकना है वर्जित ।।
लक्ष्य के मार्ग में , बाधाए भिन्न है ।
है हौसला मन में , तो बाधाए भी छिन्न है।।
लक्ष्य को करना है, यदि तुम्हे है अर्जित ।
संघर्ष से ही होता है, मानुष उत्सर्जित ।।
लक्ष्य की प्राप्ति में , संघर्ष अंग अभिन्न है ।
जिसने जाना संघर्ष को , वही तो सम्पन्न है ।।