ads

Friday, April 26, 2019

प्यार भी न देख सकी


तेरे चेहरे के नूर पर कुछ इस तरह फिदा़ हुआ मैं ।
मेरी नजरे अटक गई तुम पर,आँखे भी न थकी ।।
मैने तो तेरी आँखो में अपना संसार देख लिया ।
और तुम मेरी आँखो में प्यार भी न देख सकी ।।

माना की इज्हार लब्जो से नही आँखो से किया ।
लब्जो से निकल सकता है झुठ,आँखो से नही ।।
तुम तो छिपाए बैठी हो अपने दिल के जज्बात को ।
कम से कम मैने इश्क का इज्हार किया तो सही ।।

Saturday, April 13, 2019

"हार को मैं दुखता हुँ "


हारना सीखा नही,फिर भी मैं हार जाता हूँ ।
किस्मत से भी अनेको बार मार खाता हूँ।
फिसलता - गिरता - उठता - संभलता मैं ।
मेहनत का थाम हाथ सपनो संग चलता हूँ ।

पाने को सपने राहो पर बढ़ता जाता हूँ।
डरता हुँ, हार को भी अनेको बार डराता हूँ।
कभी तो चमकूंगा इस ब्रह्माण्ड के पटल पर ।
अंतिरक्ष के वातावरण में छाया सा सन्नाटा हूँ।

कभी देखने को सपने रातो को जागता हूँ।
सपनो को पाने कच्चे रास्ते पर भागता हूँ ।
सपनो को पाना मुझे हार को भी हराना हैं ।
दिन-रात अपने सपनो का राग ही रागता हूँ।

हार को हराने को सबूत मैं पुखता हूँ ।
हार के पहाड़ से न रूकता ,न झुकता हूँ।
यह तो तय है सपनो को जी भी लुंगा एक दिन ।
की हार खुद कहे की हार को मैं दुखता हूँ ।