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Tuesday, November 19, 2024
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उन किरणों को समेटे,जीवन से जो मिली थी , ऊंचाइयों को पाने उड़ रहा था मैं , उन सपनों के पीछे, बचपन से थे जो सींचे , कोई खींच रहा या खुद ही...
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है दुर खड़ा , है सुदूर खड़ा । मंजिल के सपने देखु मैं । आखो में जज्बा लिए हुए । मंजिल को करीब देखु मैं ।। है पार करू मैं पहाड़ बड़ा । ...